नई दिल्ली (आलोक शर्मा) अमेरिका और भारत के बीच आर्थिक संबंधों में हाल ही में एक नई चुनौती सामने आई है। अमेरिका ने कुछ भारतीय उत्पादों पर 50% तक का आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने का फैसला किया है। यह कदम अमेरिका की घरेलू उद्योगों को संरक्षण देने के लिए उठाया गया है, लेकिन इसका असर केवल भारत पर नहीं बल्कि अमेरिका के खुद के बाजार और उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा।
1. क्या है यह टैरिफ और किन उत्पादों पर लागू है?
अमेरिका ने यह टैरिफ मुख्यतः स्टील, एल्यूमिनियम, फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल्स, और इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर लगाया है। ये वे उत्पाद हैं जो बड़ी मात्रा में भारत से अमेरिका को निर्यात किए जाते हैं और अमेरिका में इनकी मांग भी स्थिर बनी रहती है।
2. अमेरिका में महंगाई को बढ़ावा:
जब किसी वस्तु पर टैरिफ लगाया जाता है, तो उस वस्तु की लागत बढ़ जाती है। भारत से आने वाले सस्ते उत्पादों पर टैरिफ लगने के बाद, अमेरिकी आयातक इन्हें महंगे दामों पर खरीदेंगे, जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। उन्हें वही सामान अब पहले से महंगे दामों पर खरीदना होगा।
उदाहरण: यदि भारत से आने वाला टेक्सटाइल $100 में बिकता था, तो 50% टैरिफ के बाद वही उत्पाद $150 में मिलेगा।
इससे रोजमर्रा के कपड़े, घरेलू सामान और दवाइयों जैसी आवश्यक वस्तुएं अमेरिकी नागरिकों के लिए महंगी हो जाएंगी।
3. घरेलू कंपनियों को फायदा, लेकिन...
इस टैरिफ का उद्देश्य अमेरिकी घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देना है ताकि वे सस्ती आयातित वस्तुओं से प्रतिस्पर्धा कर सकें। लेकिन सच्चाई यह है कि भारतीय उत्पादों की जगह लेना अमेरिकी कंपनियों के लिए इतनी जल्दी संभव नहीं है। इससे अस्थायी तौर पर सप्लाई चेन में रुकावट और कीमतों में उछाल आ सकता है।
4. अमेरिका के नागरिकों पर सीधा असर:
मंहगाई बढ़ेगी: विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वर्ग को महंगे उत्पादों का सामना करना पड़ेगा।
स्वास्थ्य पर असर: भारत से सस्ती जेनेरिक दवाएं अमेरिका में लोकप्रिय हैं। टैरिफ बढ़ने से इनकी कीमतें भी ऊपर जाएंगी।
बाजार में असंतुलन: कई छोटे व्यापारी जो भारतीय सामान बेचते हैं, उन्हें भी नुकसान उठाना पड़ेगा।
5. वैश्विक व्यापार में अस्थिरता:
भारत एक प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्था है और अमेरिका का महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार भी। ऐसे टैरिफ न केवल दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रभावित करते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी व्यापार संतुलन को बिगाड़ सकते हैं।
भारतीय सामान पर 50% टैरिफ लगाकर अमेरिका ने एक प्रकार से अपने ही उपभोक्ताओं को महंगाई की ओर धकेला है। यह कदम अल्पकालिक घरेलू राजनीतिक फायदे के लिए भले ही उपयुक्त लगे, लेकिन दीर्घकालिक दृष्टि से यह अमेरिकी जनता, स्वास्थ्य सेवाओं और आर्थिक स्थिरता के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। बेहतर होगा कि अमेरिका व भारत आपसी वार्ता से व्यापारिक मसलों का समाधान निकालें, जिससे दोनों देशों को लाभ हो, न कि नुकसान।