सोनिया को फिर कमान, क्या हैं राहुल गांधी के पतन के 10 बड़े कारण


राहुल गांधी के 20 माह का कार्यकाल सही से पूरा भी नहीं हुआ कि एक बार फिर से सोनिया गांधी को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया. बड़ी बात यह है कि कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी पर एक चुनौती यह है कि क्या फिर से वह तहस-नहस हो चुकी कांग्रेस को पुनर्जीवित कर पाएंगी? लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिरकार राहुल गांधी ने ऐसी क्या गलतियां की जिसके चलते वह लंबी बैटिंग नहीं कर पाए और समय से पहले ही उनका राजनीतिक पतन शुरू हो गया. जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक सुभद्र पापड़ीवाल क्या सोचते हैं, जाने उनके नजरिए से राहुल गांधी के पतन के 10 बड़े कारण.

1- अन्ना आंदोलन के समय ही राष्ट्रीयता का ज्वार उफ़ान पर आ चुका था। राहुल और उनके सभी प्रमुख सलाहकार देश में पनप रही इस भावना को समझने में पूरी तरह असफल रहे।

2- भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही कांग्रेस ने मोदी को भी इसी हथियार से घेरना चाहा। राहुल के योजनाकारों ने यह ऐतिहासिक भूल की और स्वं ही अपने धब्बों को धोने के लिए मजबूर कर दिये गये।

3- राहुल के चारों तरफ कांग्रेस के पुराने और वरिष्ठ क्षत्रपों ने अपनी मजबूत घेराबंदी कर दी और उन्हें ना तो अपनी पसंद की टीम बनाने दी गई और ना ही योजना।

4- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपनी धूमिल होती छवि को लेकर मोदी से व्यक्तिगत वाक्युद्ध में उलझकर कांग्रेस की राजनीति को धरातल पर ले आए जिसकी कीमत राहुल गांधी को चुकानी पड़ी।

5- राहुल की घेराबंदी किए क्षत्रपों की कुल योजना गांधी परिवार की आड़ में खुद को सत्ता पर काबिज करने की रही। इन नेताओं ने गांधी परिवार में ही शक्ति के तीन केंद्र बना दिए।

6- राहुल गांधी की टीम यह बताने में पूरी तरह असफल रही कि राहुल किन कारणों से मोदी से बेहतर विकल्प हो सकते हैं क्योंकि ये नेता ऐसा चाहते भी नहीं थे।

7- जिन राज्यों में राहुल के नेतृत्व में चुनाव जीते भी गये, वहां उनकी इच्छा की अनदेखी कर पुराने नेताओं ने आपस में सत्ता का बंटवारा किया। इससे राहुल की नेतृत्व क्षमता पर मतदाताओं में संदेह उत्पन्न हुआ।

8- राहुल और प्रियंका को लोकसभा चुनावों में सिर्फ मोदी विरोध का हथियार देकर उतार दिया गया था और कोई भी भविष्य की कार्ययोजना नहीं दी गई जिसका जनता पर प्रतिकूल प्रभाव ही हुआ।

9- सांप्रदायिकता और तुष्टिकरण के आरोप झेल रही कांग्रेस ने राहुल और प्रियंका को *"अल्पकालिक हिंदू"* के रूप में पेश कर अपनी भद्द पिटवाई और अंत में इस बात पर भ्रमित हो गई कि अपने पारंपरिक वोट को बचा कर रखें या नये मतदाता पर डोरे डालें। अन्तत: कांग्रेस राम और रहीम दोनों के लिए परित्यक्त हो गई।

10- राहुल गांधी ने अपनी भाषण शैली में आमूलचूल परिवर्तन किया, भरपूर मेहनत भी की लेकिन नरेंद्र मोदी से व्यक्तित्व लड़ाई में वे इसलिए नहीं टिक सके कि राहुल को कांग्रेस की पुरानी सोच और शैली में ही जकड़ कर रखा गया और नई कांग्रेस की स्थापना करने से इसलिए रोका गया कि पुराने क्षत्रप कहीं एक्सपोज़ नहीं हो जाएं।

(Note- यह लेख लेखक के निजी अनुभव के आधार पर लिखा गया है)