भारत. देश और दुनिया में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आयोजन धूमधाम से मनाया जा रहा है. कोविड-19 संकट के बीच भी श्रद्धा का सेलाब उमड़ा दिखाई दे रहा है. हालांकि मंदिरों में श्रीकृष्ण की झांकियां सजी हैं लेकिन भक्तों की भीड़ को इस बार मंदिर तक पहुंचकर दर्शन की इजाजत नहीं है. लेकिन क्या आप जानते हैं हम भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से बहुत कुछ सीख सकते हैं. उन्हें रियल मैनेजमेंट गुरु भी कहा जाता है, जिनके सिद्धांत और सोच हम सबको आत्मसात करने की जरुरत है.
श्रीकृष्ण की सिखाई गई बातें युवाओं के लिए इस युग में भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं, जितनी अर्जुन के लिए रहीं. श्रीकृष्ण का दिया व्यवहारिक ज्ञान का सार आज भी हमारे जीवन को उन्नति की राह पर ले जा सकता है. बस जरुरत है अनुशासन के साथ उनके जीवन को आत्मसात करने की.
हमारे जीवन का सबसे अहम सत्य यह है कि जो इंसान इस धरती पर आता है वह कभी ना कभी धरती की मिट्टी में समा जाता है. इसलिए हमें कभी भी मृत्यु से नहीं डरना चाहिए क्योंकि मृत्यु के डर से हम अपने वर्तमान के खुशियों मैं शामिल नहीं हो पाते हैं. इसलिए जरूरत है कि उस सच्चाई को अपनाना और अपनी खुशियों का आनंद उठाना.
1. मुसीबत के समय या सफलता न मिलने पर हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. इसकी बजाय हार की वजहों को जानकर आगे बढ़ना चाहिए. समस्याओं का सामना करें. एक बार डर को पार कर लिया तो फिर जीत आपके कदमों में होगी. किसी भी चीज का अति हो जाना काफी घातक होता है चाहे वह फिर रिश्तो की मिठास हो या उनकी कड़वाहट खुशी हो या गम. हर तरीके से हमें अपने जीवन का संतुलन बनाकर रखना चाहिए.
2. दोस्त वही अच्छे होते हैं जो कठिन से कठिन परिस्थिति में आपका साथ देते हैं. दोस्ती में शर्तों के लिए कोई जगह नहीं है, इसलिए आपको भी ऐसे ही दोस्त अपने आस-पास रखने चाहिए जो हर मुश्किल परिस्थिति में आपका संबल बनें.
3. किसी बंधी-बंधाई लीक पर नहीं चले. मौके की जरूरत के हिसाब से अपनी भूमिका बदलें जैसे श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी तक बने.
4. क्रोध मानव के अंदर एक भ्रम पैदा करता है. क्रोध से मनुष्य अच्छे और बुरे की पहचान नहीं कर पाता. इसलिए जरूरी है कि मनुष्य क्रोध की राह से दूर होकर शांति की राह को अपनाएं.
5. 'क्यों व्यर्थ चिंता करते हो? किससे व्यर्थ में डरते हो?' निडर और चिंता मुक्त होकर जीवन जीना चाहिए.
सतयुग में शिव, त्रेता में राम, द्वापर में श्रीकृष्ण और कलिकाल में भगवान बुद्ध हिन्दू धर्म के केंद्र में हैं, लेकिन श्रीकृष्ण के धर्म को भूत, वर्तमान और भविष्य का धर्म बताया गया है. श्रीकृष्ण का जीवन ही हर तरह से शिक्षा देने वाला है. महाभारत और गीता विश्व की अनुपम कृति है. महाभारत में देश, धर्म, न्याय, राजनीति, समाज, योग, युद्ध, परिवार, ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म, तकनीकी सहित कई विषयों का विस्तार से वर्णन मिलेगा.
6. श्रीकृष्ण के मुताबिक नर्क के तीन द्वार हैं. वासना, क्रोध और लालच.
7. अपनी गलतियों और असफलताओं से भी हमेशा सीखना चाहिए. किसी भी सफलता के लिए पहले रणनीति बनाना आवश्यक है.
8. मैनेजमेंट के सबसे बड़े गुरु के रुप में भगवान कृष्ण को देखें तो उन्होंने अनुशासन में जीने , व्यर्थ चिंता न करने और भविष्य की बजाय वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने का मंत्र दिया. इसे आत्मसात करके आगे बढा जा सकता है.
9. रिश्तों में कभी ओहदे को बीच में नहीं लाना चाहिए. भगवान कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा की गरीबी देखी तो उसके घर पंहुचने से पहले ही उनकी झोंपड़ी को महल बना दिया. उन्होंने कभी सुदामा और खुद की मित्रता में ओहदे को बीच में नहीं आने दिया. हमें मानव की पहचान उसके शरीर से नहीं उसके मन से उसकी आत्मा से करनी चाहिए.
10. कृष्ण को सबसे बड़ा कूटनीतज्ञ भी माना जाता है. उन्होंने कहा था कि सीधे रास्ते से सब पाना आसान नहीं होता. खासतौर पर तब जब आपको विरोधियों का पलड़ा भारी हो. ऐसे में कूटनीति का रास्ता अपनाएं.